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    Amalki Ekadashi Vrat Katha-आमलकी एकादशी व्रत कथा फाल्गुन शुक्ल एकादशी 

    Amalki Ekadashi Vrat Katha-आमलकी एकादशी व्रत कथा फाल्गुन शुक्ल एकादशी

    Amalki Ekadashi Vrat Katha

    फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। आमलकी यानि आंवला को शस्त्रों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है । विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्टित किया है । इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। आमलकी एकादशी व्रत के पहले दिन व्रती को दशमी की रात्रि में एकादशी व्रत के साथ भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोना चाहिए तथा आमलकी एकादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और जल लेकर संकल्प करें कि मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता एवं मोक्ष की कामना से आमलकी एकादशी का व्रत रखता हूँ। मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो इसके लिए श्रीहरि मुझे अपनी शरण में रखें। ततपश्चात 'मम कायिकवाचिकमानसिक सांसर्गिकपातकोपातकदुरित क्षयपूर्वक श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फल प्राप्तये श्री परम्मेश्वरप्रीति कामनाये आमलकी एकादशी व्रतमहं करिष्ये' इस मंत्र से संकल्प लेने के पश्चात षोडषोपचार सहित भगवान की पूजा करें । भगवान की पूजा के पश्चात पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें। सबसे पहले वृक्ष के चारों की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें। पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें। कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें। रात्रि में भगवत कथा व भजन कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें। द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भेंट करें। इन क्रियाओं के पश्चात परायण करके अन्न जल ग्रहण करें। भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है । इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। 

    इति आमलकी एकादशी व्रत कथा 

    1 comment:

    1. Varuthini Ekadashi 26th april 2022:
      वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। इस साल वरुथिनी एकादशी पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार, इस शुभ योग में किए गए कार्यों का फल तीन गुना मिला है। मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
      वरुथिनी एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा का महत्व और पारण का समय ?

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