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    सूर्य ग्रह के प्रभाव और उपाय 

    Surya planet and Remedies by Lal kitab

    पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीवन सूर्य देव की कृपा से ही है। आकाश रोशनी, पृथ्वी को गर्मी, राजा, तपस्वी, सत्य-पालन, परोपकार और प्रकृति का स्वामी सूर्य है। यह पौराणिक ग्रह है जिसके होने से दिन होगा और न होने से रात्रि। सूर्य मानव शरीर में आत्मा का कारक है। सूर्य सदैव एक ही दिशा में चलता हुआ दिखाई देगा और इसका अंत अज्ञात है सूर्य देव कभी वक्री नही होते है। गुरू के ज्ञान एवं भाग्य की नींव सूर्य की ही देन है। हवा को हर सांस लेने वाले तक पहुंचाना गुरू का कार्य है।
    • ग्रहों में  चन्द्र (ठंडक-सर्दी), मंगल (लाली) और बुध (खाली घेरा) सूर्य के आवष्यक अंग है। इन ग्रहों का सूर्य के साथ होना शुभ है।
    • सूर्य से आत्मसिद्धि, पिता , मानसिक चिन्ता, मान-समान का चिार किया जाता है। सरकारी  कार्य, स्वयं का कार्य, शिक्षा, अस्थिरोग, हृदय की गति, दांयी आंख आदि का विचार किया जाता है।
    • यदि सूर्य 1, 4, 5, 8, 9, 12 में हो तो वह जातक तेजस्वी, प्रतापी,शत्रुहन्ता होगा। अशुभ भावों में होने पर क्रोधी, अन्यों का अहित कर्ता, प्रकृति नीच होगी।
    • केतु 1 या 6 में होगा तब सूर्य अत्यंत श्रेष्ठ फल देगा । मंगल 6 में केतु 1 में होगा तब सूर्य उच्च का माना जायेगा। शनि की सूर्य पर दृष्टि होने पर प्रभाव में कमी आयेगी लेकिन शुक्र के प्रभाव में वृद्धि होगी। सूर्य शनि द्वारा पीडि़त होगा एवं शारीरिक कष्ट भोगेगा लेकिन यदि शनि पर सूर्य की दृष्टि हो तो व्यक्ति के घर की स्त्रियों पर मुसीबतें आयेंगी।
    • जिस व्यक्ति का सूर्य उच्च होगा वह गेंहुवे रंग का उवं लम्बे कद का होगा। आंखे शेर की तरह एवं निहायत शरीफ चालचलन का होगा। स्वयं परिश्रम से, सघर्ष से धनी बनेगा।
    • जिस व्यक्ति का सूर्य नीच का होगा उसके मुंह से सदैव लार बहती रहेगी एवं शरीर के अंग बेकार हो जाएंगे या लकवा मार जायेगा। इस स्थिति में गुड़ खाकर जल पीकर कार्य प्रारंभ करें। बहते पानी में गुड़ बहायें। रात्रि को सोते समय दूध से आग बुझायें। तांबे की अंगुठी में सूर्योदय के समय माणिक्य पहने।
    • सूर्य शत्रु ग्रह सूर्य के पहले के भावों में होने पर सूर्य को पीडि़त करेंगे एवं बाद में भावों में होने पर सूर्य की वस्तुओं पर अपना अशुभ प्रभाव देंगे।
    • सूर्य के साथ राहु-केतु आ जाने पर ग्रहण माना जायेगा। पंचम भाव खाली होने पर सूर्य का उपचार किया जाना चाहिए। 6 और 7 में सूर्य का अशुभ प्रभाव उपचार द्वारा निवारण किया जा सकता है। सोना और तांबा सूर्य से संबंधित धातु है। माणिक्य सूर्य का रत्न है। सूर्य का राहु से संयोग होने पर गंदे विचार, केतु संयोग होने पर पैरों में रोग एवं शनि से संयोग होने पर आषिक, मजनू, पे्रमी हो जायेगा।

    सूर्य और मकानः-

    मकान का द्वार पूर्व की ओर होगा। मकान के मध्य में आंगन एवं आंगन में रसोई होगी। पानी रखने का स्थान दांये हाथ की ओर आंगन में होगा।

    सूर्य प्रथम भाव में होने परः-



    प्रथम भाव में सूर्य होने पर जातक ऊँचा, लम्बा कद, कल्प केश,निरोग एवं मेधावी होगा। जातक में  आत्मिक एवं शारीरिक शक्ति प्रबल होगी एवं परोपकारी, चरित्रवान संतोशी, साहसी एवं क्रोधी स्वभाव का होगा।  सरकारी उच्च पद को प्राप्त करेगा एवं यश्‍स्वी एवं प्रसिद्ध होगा।
    सन्तान कम होगी एवं स्वयं परिश्रम से धनी बनेगा। परंपराओं को मानने वाला एवं शराब एवं नशीले पदार्थो से दूर रहने वाला होगा। कानों सुनी बातों की अपेक्षा देखकर विश्‍वास करने वाला होगा।
    सप्तम भाव में शुक्र हो तो पिता की मृत्यु बचपन में ही हुई होगी। सप्तम भाव में बुध हो तो वासना आदि से विरिक्त होगी।
    उपायः-
    1. सूर्य अशुभ होने पर विवाह शीघ्र करना उत्तम होगा। यदि सप्तम भाव रिक्त हो।
    2. पानी में चीनी डालकर सूर्य को अघ्र्य देवे।
    3. पानी का नल लगवाये।
    4. मकान की दांयी तरफ अंतिम छोर पर अंधेरी कोठरी बनवाये।

    सूर्य द्वितीय भाव में होने परः-

    द्वितीय भाव में सूर्य होने पर व्यक्ति त्यागी, दानी, सच्चरित्र एवं धार्मिक स्वभाव का होगा। धन सम्पति, बहुमूल्य आभूशण का स्वामी होगा। मधुर भाशी एवं अपने तर्को से सभी को अनुकूल करने की क्षमता रखता है। भाग्यशाली एवं अधिकार पूर्ण पद का स्वामी होता है। स्वयं स्वार्थ से रहकर सभी की सहायता करने वाला होता है। वाहन और चैपाया जानवरो का विशेश सुख रहता है। इस जातक के जन्म के पश्‍चात ही माता-पिता का भाग्योदय हुआ होगा।
    सूर्य अशुभ रहने पर जातक स्त्री के कारण संबंधियों से झगड़ा करता रहता है। ऐसे व्यक्तियों के परिवार में स्त्रियों की मृत्यु ज्यादा होगी। मंगल 1 एवं चन्द्र में होने पर दरिद्र, आलसी एवं निर्धन होगा।
    उपायः-
    1. नारियल, बादाम, तेल आदि मंदिर में दे।
    2. गेहॅूं, बाजरा मुफ्त नही ले।
    3. नारियल मंदि में दें।
    4. स्त्री ऋण का उपाय करें।

    सूर्य तृतीय भाव में होने पर

    जातक सुन्दर शरीर का स्वामी, पराक्रमी, परिश्रमी, दानी, प्रतापी, न्यायप्रिय निरोग और  सदाचारी होगा। झूठ एवं धोखधड़ी से घृणा होगी। तीष्ण बुद्धि, गणित एवं ज्योतिश में निपुण, भाग्यशाली होगा। सरकार से समान पाता है। विरोधी होते ही नही, यदि होते है तो टिकते ही नही। सामान्यतः बड़े भाई का सुख नही देख पाता। ऐसे व्यक्तियों का भाग्योदय भांजे, मित्रों, भतीजो की सहायता करने से होगा। सुन्दर स्त्रियो को अपनी ओर आकर्षित करने शक्ति होती है। निर्धन घर में पैदा होकर भी स्वयं उपार्जन कर धनी बनने की क्षमता होगी।
    यदि बदचलन होगा तो धनी नही बन पायेगा ओर सूर्य का अशुभ प्रभाव इसे पीडि़त करेगा। भाइयों से अनबन रहेगी एवं बहिनो का वैवाहिक जीवन श्रेष्ठ न रह पायेगा।
    उपायः-
    1. अपना चालचलन अच्छा रखे।
    2. निर्धन व गरीब बच्चों की सहायता करें।
    3. मॉं, दादी एवं बुजर्गो का आशीर्वाद ले।

    सूर्य चतुर्थ भाव में हो तो-

    जातक वंश परंपरा से हट कर कार्य करता है। नेक, दयालु एवं बुद्धिमान होगा। जीवन में सभी प्रकार के सुख पाता है। एक राजा के समान जीवन यापन करता है एवं लोकप्रिय रहता है। स्वयं की हानि कर भी दूसरा की मदद करता है। माता-पिता की सेवा करने पर भाग्योदा होगा।
    अशुभ प्रभाव से भाइयों से कलह होता रहता है एवं मन दुखी रहता है। पिता से विरोध रहेगा। उसी के सामने उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है। किसी से भी सहायता नही मिलती।
    लालची चोर या भ्रष्टाचारी हो जाये तो निर्धन होगा।
    पराई स्त्री से संबंध बनाने  पर संतान सुख नही पायेगा।
    शरीर का कोई अंग भंग होगा या पीडि़त होगा। मानसिक क्लेश रहेगा।
    शनि सातवे पर हो तो व्यक्ति नपुसंक होगा। यदि साथ में चन्द्र पहले में हो तो डरपोक होगा।
    उपायः-
    1. अंधों को भोजन करवाये एवं भिक्षा दे।
    2. मांस मदिरा का सेवन ना करें।
    3. सोना पहने।

    सूर्य पंचम भाव में होने पर-

    जातक की बुद्धि श्रेष्ठ, विद्याध्ययन में सुक्ष्म विषियों को ग्रहण करने वाला होगा। जन्म होते परिवार की उन्नति प्रारंभ हुई होगी। राज्य कार्य या राज्य से लाभ पाने वाला होगा। पुत्र संतान कम होगी। लेकिन संतान उत्पन्न के बाद आर्थिक उन्नति होगी। परिवार के लिए सबकुछ अर्पण कर देने वाला होगा। घुमने फिरने का शौकिन होगा। राज्य कर्मचारियों एवं साधु संतों की सेवा से लाभ होगा।
    अशुभ सूर्य होने पर कपटी, ढोंगी और ठगी चतुर होगा। बचपन में दुखी एवं जवानी में रोग ग्रस्त रहेगा। धर्म कर्म आलसी होने पर मान सम्मान की हानि होगी। प्रथम पुत्र कष्ट पायेगा एवं पुत्र पृथक रहेगा।
    गुरू 10 में हो तो एक से अधिक विवाह होंगे।
    उपायः-
    1. लाल मुहॅ के बंदरों की सेवा करें।
    2. झूठ ना बोले, लोगो को दिये गये वादे को पूरा करें।
    3. पुराने रीति-रिवाजो पालन करें।
    4. किसी की निन्दा ना करें।
    5. साला, जीजा, दोहता या भांजे की सेवा करे।

    सूर्य शष्टम भाव में होने पर

    दुबले-पतले शरीर का स्वामी यह जातक शीघ्र क्रोधित होने वाला लेकिन मिलनसार होगा। विरोधी एवं शत्रुओं पर विजयी, अतिचरित्रवान, धैर्यवान होगा। पुत्र जन्म के बाद व्यवसाय एवं कार्य में स्थिरता आयेगी। उच्च पदवी से सम्मानित होगा।
    अशुभ सूर्य स्वाथ्य संबंधी परेशानी देगा। नेत्र रोग से ग्रसित रहेगा। चैपाये जानवरों विश, शस्त्र, अग्नि से पीडि़त होगा। मामा, मौसी एवं नैनिहाल में अशुभ प्रभाव होगा। स्त्री एवं संतान सुख कम होगा।
    बुध 12 में होने पर रक्तचाप रोग।
    शनि 12 में होने पर स्त्रियों की मृत्यु।
    मंगल 10 में होने पर पुत्रों की मृत्यु होगी।
    उपाय-
    1. मामा की सहायता के लिए बंदरों को गुड़ दे ।
    2. नदी का जल एवं चांदी घर में रखे।
    3. मंदिर आदि धार्मिक स्थानों पर दान दे।
    4. रात को सिहराने पानी रखकर सोने से पिता की आयु वृद्धि होगी।

    सूर्य सप्तम भाव में होने पर

    ऐसा व्यक्ति दान करने पर उतर आये तो सबकुछ दान कर देगा। पत्नि/पति ऊँचे खानदान एवं श्रेष्ठ चरित्र का होगा। मध्यम कद एवं आंखे थोड़ी भूरी हो सकती है।
    इस भाव में सूर्य अशुभ होने पर पत्नि रोगी रहेगी एवं जातक स्वयं पराई स्त्रियों में रूचि लेगा। गुप्त रोग होंगे। पिता के साथ एवं राज्य संबंध अच्छे नही रहेंगे। घर से परेशान होकर साधु भी बन सकता हैं। क्रोधी स्वभाव लेकिन मित्र ग्रहों की सहायता से लाभ होगा। ससुराल सुख अच्छा नही रहता।

    उपाय-
    1. आग को दूध से बुझाने पर लाभ होगा।
    2. भूमि में चांदी का चैकोर टुकड़ा दबाये।
    3. कम पर जाते समय थोड़ा मीठा गुड़ खाकर पानी पी ले।
    4. रोटी खाने से पहले भोजन का थोड़ा सा हिस्सा आहुति में डाले।
    5. काली गाय को घांस खिलाए एवं गाय की सेवा करे।
    6. स्त्रिी ऋण का उपाय करें।

    सूर्य अष्टम भाव में होने पर

    जातक सुन्दरवाला शरीर कर्मठ होगा। जीवन शक्ति श्रेष्ठ होगी। नौकरी करने में उन्नति एवं धन प्राप्त करेगा। विदेश यात्रा होने पर स्त्रियों से संबंध बनंगे। बड़ा भाई होने पर दीर्घायु  होगी। सद्चरित्र रहने पर शत्रु विरोधी ना रह पायेंगे।
    अष्टम भाव में सूर्य अशुभ होने पर नीच लोगो की संगति एवं सेवा करेगा। चरित्रहीन, धुर्त, चालाक, ठग व झगडालु प्रवृति का होने पर स्वास्थ एवं पूंजी नष्ट होगी। दृष्टि क्षीण एवं शरीर दुर्बल हो जायेगा। वृद्धावस्था में दरिद्र निधन  हो जाएगा।
    विषेशता- ऐसे जातकों के सम्मुख किसी की भी मृत्यु नही होती  यदि कोई बहुत अधि रोगी हो तो इन्हे उसके पास बिठा देना चाहिए। जीवन जीने की प्रेरणा देने की क्षमता इनमें है।
    उपाय-
    1. गुड़ खाकर पानी पीकर कार्य आरंभ करें।
    2. 800 ग्राम गेंहू उवं 800 ग्राम गुड़ रविवार से 8 दिन तक मंदिर में भेंट करे।
    3. अपना चरित्र उज्जवल रखे।
    4. पानी में चीनी डालकर अध्र्य देवे।
    5. दामाद (जमाई) के साथ नही रहे।

    सूर्य नवम भाव में होने पर-

    भाग्यशाली एवं  वाहन आदि से सुखी रहता है । बड़े परिवार में जन्म लेता है। भाइयों से दुखी रहता है। सत्य बोलनो वाला, सुन्दर बालों वाला, नेक व्यक्ति होगा। भविष्य के बारे में अधिक सोचता हैं । कुल परंपराओं, देवताओं वृद्धों का आदर करने वाला होगा। निराश व्यक्तियों में आशा का संचार करने वाली कुशलता होगी। खानदानी परंपरा, सरकारी नौकरी, ठेकेदारी करने की रहेगी।
    इस भाव में सूर्य अशुभ होने पर व्यक्ति हर बार बात बदल देता है। बालपन में रोग ग्रस्त रहता है। दुष्ट, कू्रर, दंभी हो जाता है। भाइयों से अनबन रहेगी। दूसरा धर्म तक अपना लेता है।
    उपाय-
    1. सफेद वस्तुओं को कभी ना ले बल्कि इन वस्तुओं चांदी, चावल, दूध का दान करें।
    2. अति क्रोधी या अति सहनशील ना बने।
    3. दूध, चावल व चांदी का दान ना करें।
    4. तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करे।

    सूर्य दशम भाव में होने पर-

    जातक अत्यधिक न्यायप्रिय , साहसी दृढ़ निष्चयी, गर्विली प्रकृति का होगा। व शत्रु का ज्ञाता एवं पराक्रमी स्वभाव के कारण अपनी स्थिति राजा तुल्य बना लेगा। राज्य लाभ एवं कीर्ति सुख मिलता है। पिता एवं वाहन का भरपूर सुख मिलता है।
    इस भाव में सूर्य अशुभ होने पर जातक वहमी, आडंबार प्रिय होगा। स्वयं के दोष एवं हानि हर समय गाता रहेगा। पुत्र संतान कम होगी या होगी ही नही । माता को कष्ट, मित्र पत्नि से वियोग के कारण मन अशांत रहेगा।
    चतुर्थ में शुक्र होने पर पिता की मृत्यु बचपन में ही हुई होगी। चन्द्रमा पंचम में होने पर आयु 12 दिन की ही होगी।
    उपाय-
    1. काले-नीले कपड़े नही पहने।
    2. बहते पानी में सिक्का या तांबे का पैसा डालना शुभ रहेगा।
    3. सिर पर हमेशा सफेद रंग की टोपी या सादा पगड़ी बांधे।
    4. बुजुर्ग आंगन में हैंड़पम्प लगवाये।
    5. अपना भेद किसी को ना दे।
    6. निर्दयी ऋण का उपाय करें।

    सूर्य एकादश भाव में होने पर-

    शौक-मौज करने वाला होता है। सुन्दर नेत्रों वाला एवं गाने का शौकीन होगा। जातक का भाग्य सात्तिविक विचारों एवं ईमानदारी आदि कार्यो से बढेगा। खान-पान में जुऑ, शराब, मांसाहारी भोजन गाली-गलौच से बचा रहे तो ऐशवर्य समृद्धि रहेगी। मान प्रतिष्ठा, गौरव पाता है। नौकर एवं वाहन का भरपूर सुख होगा।
    इस भाव में सूर्य अशुभ भाव में होने पर संतान पक्ष् से दुखी रहेगा। प्रियजन वियोग सहना होगा। बड़ा भाई नही होता या संबंध मधुर नही रह पायेगा।
    उपाय-
    1. मांस मदिरे का सेवन ना करे।
    2. मांसाहारी भोजन ना करें, गाली-गलौच करे और ना ही झूठ बोले।
    3. कसाई से बकरी/बकरा काटने से पूर्व छुड़वा कर छोड़ दे।
    4. पानी में चीनी डालकर सूर्य को अध्र्य देवे।
    5. निर्दयी ऋण का उपाय करें।

    सूर्य द्वादश भाव में होने पर-

    हर स्थिति में निश्चित, गहरी नींद लेने वाला होता है। धार्मिक स्वभाव का  होता है। नौकरी या व्यापार से धनी होता है। विदेश में निवास करता है।
    इस भाव में सूर्य अशुभ होने पर जातक मूर्ख व कामुख हो जाता है। नास्तिक या विधर्मी बनने पर चोरी  एवं जुर्माने आदि की घटनाएं होती है। तकनीकी कार्य रास नही आते। जातक के चाचा को जीवन में काफी परेशानियां होती है। स्त्री बांझ होती है एवं स्वयं परस्त्रीगामी होता है। पिता से भी संबंध मधुर नही रहते।

    1. बन्दरों को गुड़ डाले।
    2. धर्म का पालन करे।
    3. झूठी गवाही आदि न दे।
    4. साले,चाचा, ताया के साथ कार्य न करें।
    5. पानी में चीनी डालकर सूर्य को अध्र्य देवे।
    6. मकान में आंगन अवष्य रखे।
    7. रविवार का व्रत करें।
    8. सरकारी नौकरी में रिश्‍वतखोरी न करे तथा अमानत में ख्यानत न करे।
    9. आजन्मकृत ऋण का उपाय करे।

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